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किया जो प्यार मिटा करवटें बदलते हुए / रंजना वर्मा
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किया जो प्यार मिटा करवटें बदलते हुए।
न देख पाया शमा को कोई पिघलते हुए॥
अगर न रात की किस्मत में अँधेरा होता
सितारों को न कोई देखता मचलते हुए॥
वो कौन है कि न जिसके ज़िगर में हो कोई
ले थाम चाँद को सागर भी ये उछलते हुए॥
कली खिली भी न थी लूट ले गया भँवरा
मगर न देखा कली को कभी मसलते हुए॥
निराश हो के न बैठो कि है ज़रूरी यही
मिलेगा लक्ष्य सदा रास्तों पर चलते हुए॥