किरियासराध / पतझड़ / श्रीउमेश
भीखो चौवे के मरला पर, किरिया यैठां होलोॅ छै।
भीखो के बेटा जग्गू कन, नेतलोॅ सौंसे टोलोॅ छै॥
कंटाहा, मिठ्ठु पुर्हैत, गरभू नौआ-यैठाँ ऐलोॅ।
एकरोॅ खिस्सा सुनोॅ चमत्कारी ई óाद्ध जेना भेलोॅ॥
मिठ्ठू छै लिलचाहा, एक सुपाड़ी तक नै छोड़ै छै।
रकम-रकम के चाल चली केॅ, पैसा जोड़ै छै॥
गरभू नौआं करता के धोती-गमछा लानै छेलै।
कंटाहा-पुरहैंती में, तखनी, बड़का झगड़ा भेलै॥
बोलै छै पुरहैत, दान के हमरा देॅ आधोॅ हिस्सा।
आधा-आधी देॅ क तोहें, खतम करोॅ यैठा खिस्सा॥
बोललै कंटाहा, तोरा तेॅ कोय धरोॅ मंे नैं छौं लाज।
एकादसा-कर्म के कैन्हें हिस्सा माँगै छोॅ महराज॥
”अब तक तोहें दुआदसा में, जे लेलेॅ ऐलोॅ छौ दान।
कहियो देलेॅ छौं बाँटी हमरा एक्को चुटकी भर धान?
बीहा में, मड़वा, मुड़ना में, तोहें खूब देखाबोॅ सान।
पूजा-पाठ में तोहें तेॅ, रोज-जगाबै छोॅ जजमान॥
हमरा तेॅ किरियै के आसा, ओकरौ में झगड़ा-झांटी?
कोनौ बुता पर मागै छोॅ हमरा सें आधोॅ बाँटी?
तोहें ‘पात्र’ अगर हम्में तेॅ ‘महापात्र’ कहलाबै छी।
करता के ‘उतरी’ तोड़ी केॅ सब के साथ खिलाबै छी॥
बेसी टें-टें करभेॅ तेॅ देभौं हम्में गरदन तोड़ो।
आज तलक जे लेलेॅ छौ सभ्भे लेभौं जोड़ी-जोड़ी॥“
लोगें मिट्ठू कॅ डाँटेॅ तेॅ, झगड़ा सान्त वहाँ भेलोॅ।
मिट्ठू तखनी सुटियैलोॅ चुपचाप वहीं बैठो गेलोॅ॥
जग्गू दुआदसा दिन करलक ऐंगना में सब ओतने दान।
नौआं मिट्ठू पुरहैती के, खूब पुरैलखै यहाँ निनान॥
पंडित जी के मंत्रोॅ के वे ‘ब्राह्मानाय’ पर देलकै ध्यान।
बाकेॅ सुनी केॅ गरभू नौआ के ठाढ़ोॅ भेॅ गेलै कान॥
गरभू बोललै मिट्ठू सें-”पंडित जी के सुनल्हौ बोली?
वेदोॅ के ई ब्राह्मनाथ केॅ समझोॅ तों तौली-तौली॥
मिट्ठू बोललै, तों रे बुजपुत नौआ होय केॅ समझैवे?
-हम्में की एतनों नै जानेॅ छी जे हमरा बतलैबे?“
नौआ बोललै, ”पंडित ब्राह्मनाय“ बोलै छै, देल्हौ ध्यान।
पंडतै के बात आज तक होलोॅ ऐलोॅ छै, परमान
कोदो-मडुआ देॅकेॅ पढभेॅ कत्तेॅ बुझभेॅ तों चितलाय?
ब्राह्म-ब्रह्मनोॅ केॅ कहलेॅ छै, नौआ केॅ कहलेॅ छै ‘नाय’
आज तलक हमरा ठगलेॅ छोॅ, आबेॅ नै ठग्गेॅ देभौं।
यै किरिया के दान दच्छिना, आधोॅ तेॅ लैये लेभौं॥“
बाभन आरु नौआ सें किरिया तेॅ सुद्ध होथै छै।
दुनियाँ तेॅ कहिये रहलोॅ छै, हे हेॅ बेदौ कहथैं छै॥“
गरजी उठलै मिट्ठू तखनी, भेॅ गेलै अंगिया बैताल।
नौआ केॅ दौड़ लै मारैलेॅ, नौऔं ठोकी देलकै ताल॥
”दीहोॅ तों बिबिया-डरान सीधी-साधी घरवाली केॅ।
गरभू छै टेढ़ोॅ बड्डी, यें रखथौं चकरी चाली कॅे॥
‘गल थोथरी’ सें नौआं लये लेलकै कुछ अपनों हिस्सा।
नौआ आरु बाभन के ई किरिया के छेल्हौं खिस्सा॥