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किशोर / महेन्द्र भटनागर
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शेर-से दहाड़ते चलो,
आसमान फाड़ते चलो !
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वीर हो महान देश हिंद के विजय करो,
मातृभूमि की व्यथा-जलन समस्त तुम हरो,
देख मौत सामने नहीं डरो, नहीं डरो !
तुम स्वतंत्र-स्वर्ण नव-प्रभात के हरेक
शत्रु को पछाड़ते चलो !
शेर से दहाड़ते चलो,
आसमान फाड़ते चलो !
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देख आँधियाँ डरावनी नहीं, कभी रुको,
साहसी किशोर शक्तिमान हो, नहीं झुको,
भूख-प्यास झेलते बढ़ो, नहीं कभी थको !
राह रोकता मिले अगर कहीं पहाड़ तो
उसे उखाड़ते चलो !
शेर-से दहाड़ते चलो,
आसमान फाड़ते चलो !