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किसने सोचा क्या है अच्छा धंधा यहाँ कमाई का / रंजना वर्मा

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किसने सोचा क्या है अच्छा धंधा यहाँ कमाई का
ढूंढ़ रहे हैं सभी यहाँ पर रस्ता पेट भराई का

कौन करे हमदर्दी उनसे हैं जो दर्द सितम पाये
जोड़ रहे सारे हिसाब हैं रुपया आना पाई का

आगे आये कौन कि जो अब आंखों से सपने जोड़े
खड़े आज ले कर हाथों में डिब्बा दियासलाई का

आज हमसफ़र चला गया है दूर निगाहों से मेरी
कौन समझ पायेगा क्या है जादू इस अंगड़ाई का

सारे शिक़वे खत्म हुए जब से वह मिले खयालों में
आज वहाँ है इश्क़ जहाँ कुछ खौफ़ नहीं रुसवाई का

सब के अपने दर्द यहाँ हैं सब की है अपनी पीड़ा
किसने है अहसास किया मेरी बेबस तनहाई का

टूट गये हैं सपने सारे छूट रहा बेदर्द जहाँ
यारों हँस के रुख़सत कर दो अब है वक्त विदाई का