भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

किसी को किसी से शिकायत न होती / देवी नांगरानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किसी को किसी से शिकायत न होती
अगर इस जहाँ में ये ग़ुरबत न होती

मुहब्बत की ईंटें न होती जो उसमें
तो रिश्तों की पुख़्ता इमारत न होती

कभी बाज़ आती न ज़ुर्मों से दुनियाँ
अदालत के ऊपर अदालत न होती

दरिंदों का होता यहाँ बोलबाला
जो इन्सानियत की इबादत न होती

सितारे, न धरती, न आकाश होता
जो दुनिया पे उसकी इनायत न होती

जो अपने उसूलों से गिरती न दुनिया
तो आज उसकी बद्तर ये हालत न होती

अगर ‘देवी’ लाते न उनको अमल में
उसूलों की फिर तो हिफ़ाजत न होती