भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

किसी दिन / विष्णु नागर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वैसे किसे नहीं मालूम
कि यहाँ कोई अजर-अमर होने नहीं आया
लेकिन यह भी किसे मालूम
कि एक दिन
वह मर जाएगा