भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
किसी ने जो दिल की कहानी सुनाई / इब्राहीम 'अश्क़'
Kavita Kosh से
किसी ने जो दिल की कहानी सुनाई
तुम्हारी मुहब्बत बहुत याद आई
चमन में जो कोई कली मुस्काई
तुम्हारी मुहब्बत बहुत याद आई
कहीं कोई ख़ुश्बू का झोँका जो आया
तो ऐसा लगा जैसे तुम आ गये हो
हर आहट तुम्हारा ही पैग़ाम लाये
तुम्हारी मुहब्बत बहुत याद आई
मेरा एक पल आज कल एक सदी है
कहाँ वो मौसम सुहाने सुहाने
कहाँ प्यारी प्यारी तुम्हारी वो बातें
मेरी जान लेने लगी है जुदाई
बताओ कहाँ आके तुम को पुकारें
नज़र हर तरफ़ बस तुम्हें ढूँढती है
चले आओ वीरान राहें सजा दो
मेरी हर तमन्ना जवाँ हो रही है
मिलो तुम तो मिल जाये सारी ख़ुदाई
तुम्हरी मुहब्बत बहुत याद आई