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किस्मत / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

कब तलक यों ही रुलायेगी मुझे किस्मत,
नाउमीदी में डुबायेगी मुझे क़िमस्त,
हाथ से मैंने मिटा दी भाग्य की रेखा-
अब भला कैसे मिटायेगी मुझे किस्मत?