कब तलक यों ही रुलायेगी मुझे किस्मत,
नाउमीदी में डुबायेगी मुझे क़िमस्त,
हाथ से मैंने मिटा दी भाग्य की रेखा-
अब भला कैसे मिटायेगी मुझे किस्मत?
कब तलक यों ही रुलायेगी मुझे किस्मत,
नाउमीदी में डुबायेगी मुझे क़िमस्त,
हाथ से मैंने मिटा दी भाग्य की रेखा-
अब भला कैसे मिटायेगी मुझे किस्मत?