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किस्सा ऊधम सिंह / रागनी 1 / रणवीर सिंह दहिया

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वार्ताः शहीद ऊधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 में हुआ था। देश पर अंग्रेजों का कब्जा था। पूरे ही देश में अंग्रेज भारत वासियों पर जुल्म ढा रहे थे। आजादी की पहली जंग जो 1857 में लड़ी गई थी। इसके बाद अंग्रेजों ने जनता पर और भी ज्यादा कहर ढाया था। शहीद ऊधम सिंह की मां सारे माहौल को देखकर दुखी हो जाती है और क्या सोचती हैं भलाः

यो घर खावण नै आवै, रहवै दिल मेरा उदास
नहीं दिखै कोए राही॥
देही रंज फिकर ने खाली
या उड़गी चेहरे की लाली
कंगाली या बढ़ती जावै, नहीं बची जिन्दगी मैं आस
गोरयां नै लूट मचाई॥
यो अंग्रेज गिरकाणा सै
हर बात मैं धिंगताणा सै
पिछताणा सै धमकावै ना लेवण दे सुख की सांस
ईज्जत तारणी चाही॥
मैं सिर पाकड़ कै रोती
सहन ये बात नहीं होती
मोती ये चोरया चाहवै गेर दी म्हारे बीच मैं फांस
बहोत घणा अन्याई॥
रणबीर नै अंग्रेज दबाता
गाम थो चुप रैह जाता
सताता अर यो गुर्रावै नहीं बात आवै या रास
दिल की बात बताई॥