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किस्सा किसे सुनाएँ / पूनम गुजरानी
Kavita Kosh से
पेड़ काटकर
सङक बनाई
छांव कहाँ से लाएँ
गांव बने हैं
शहर आजकल
किस्सा किसे सुनाएँ
सोने-सी फसलें
मुरझाई
उलझी रिश्तों की
तुरपाई
चौपङ बिछी रही
आंगन में
सुख दुःख किसे बताएँ
किस्सा किसे सुनाएँ।
राजघाट पर
नारेबाजी
एकबैठा राजा
बैठा काजी
राजा रानी
परियों का
इतिहास कहाँ दोहराएँ
किस्सा किसे सुनाएँ।
रिश्ते भेंट चढे
सुविधा के
कौन बचाए
फिर दुविधा से
मंदिर मस्जिद
रिश्र्वत लगती
किसको शीश नवाएँ
किस्सा किसे सुनाएँ।