भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
किस से बिछड़ी कौन मिला था भूल गई / फ़ातिमा हसन
Kavita Kosh से
किस से बिछड़ी कौन मिला था भूल गई
कौर बुरा था कौन था अच्छा भूल गई
कितनी बातें झूठी थीं और कितनी सच
जितने भी लफ़्ज़ों को परखा भूल गई
चारों ओर थे धुंधले चेहरे से
ख़्वाब की सूरत जो भी देखा भूल गई
सुनती रही मैं सब के दुख ख़ामोशी से
किस का दुख था मेरे जैसा भूल गई
भूल गई हूँ किस से मेरा नाता था
और ये नाता कैसे टूटा भूल गई