की सखि, साजन? / भाग - 12 / दिनेश बाबा
111.
ताप, बदन में जब आबै छै,
डार-पात तक मुंजराबै छै,
प्रिया लेली बौराबै कंत,
की सखि जौबन?
नहीं, बसंत।
112.
काम सें जौनें वफा करै छै,
माल, पसिंजर दफा करै छै,
मोंछ, मुरेठा, कड़ा छै तेवर,
की सखि मुंशी?
नहीं, डलेवर।
113.
जें बुढ़बौ क करै जवान,
जेकरो छै उत्तम पहिचान,
दूर करै ज्वर, कफ आरू कास,
की सखि तुलसी?
नैं, चवनप्रास।
114.
कफ लेली, वरदान छेकै जे,
औषध के, अवदान छेकै जे,
हरै कास रं कत्ते व्याधि,
की सखि हर्रे?
नैं, सितोप्लादि।
115.
जे दूरो के बात, सुनाबै,
चिट्ठी रं संवाद कराबै,
कहै-सुनै में लागै मोन,
की सखि माईक?
नैं सखि, फोन।
116.
नारी मन के, साध बताबै,
अंतर के अवसाद, मिटाबै,
भींजै आँख आरू काँपै ठोर,
की सखि दुःख?
नै सखि, लोर।
117.
अंगरेजोॅ क, भगैलक जौनें,
आजादी, दिलबैलक जौनें,
लड़लै, माथोॅ कफ्फन बाँधी,
की सखि ‘नेहरू’?
नैं सखि, गाँधी।
118.
देश ओढ़ना, देश बिछौना,
देशोॅ लेली, मरना-जीना,
छै कुरबानी, जेकरो याद,
की सखि ‘गाँधी’?
नैं, ‘आजाद’।
119.
कर्म मोह के पकड़ में जीलै,
वचन के एक्के जकड़ में जीलै,
महारथी रं वीर हो किस्म,
की सखि ‘द्रोण’?
नैं सखि, ‘भीष्म’।
120.
देशोॅ के, गौरव जानी केॅ,
तपः पूत, हौ विज्ञानी केॅ,
सौंसे देश के पाक सलाम,
की सखि ‘भाभा’?
नहीं, ‘कलाम’।