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की सखि, साजन? / भाग - 16 / दिनेश बाबा

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151.

गुरू-गौरव-गरिमा मंडित छै,
लागै जना महा पंडित छै,
मननशील भाषा रोॅ केंद्र,
की सखि ‘बाबा’?
नैं, डॉ. ‘योगेन्द्र’।

152.

कर्मशील, उत्साही कर्मी,
सामाजिक नेतृत्व में, गर्मी,
सांसद-चरित के जैसें केंद्र,
की सखि नायक?
नैं, ‘विजयेंद्र’।

153.

जें भरलक, अंगिका गगरिया,
बसै छथिन जे, नगर खगड़िया,
कलम चलै हर विधा में जिनकर,
की सखि ‘निर्मल’?
नैं, कवि ‘किंकर’।

154.

हार, कंगन, पायल झनकाबै,
जौने झुमका रोज गिराबै,
करै कवित्त केरोॅ बमबारी,
की सखि ‘अनिल’?
नहीं, ‘मुरारी’।

155.

जनभाषा में, बात करलकै,
हिन्दी के शुरूआत, करलकै,
हुनको जकां होलै के दुसरो,
की सखि ‘कबीर’?
नैं, ‘अमीर सुखरो’।

156.

सिर जुंबिश दै दै बोलै छै,
आँखोॅ मटकै जब खोलै छै,
देशोॅ के छै बनल सहारा,
की सखि ‘जार्ज’?
नैं, ‘अटल कुवाँरा’।

157.

जोड़ हृदय सें तार, हृदय के,
पनपाबै जें, प्यार हृदय के,
स्नेह मंे नै कभी लानै सर्दी,
की सखि प्रेमी?
नैं सखि, ‘विरदी’।

158.

भौंरा, माधुरी रूप के रसिया,
मन, तब्बू, उर्मिला बिलसिया,
एक मुसब्बिर छै बेचैन,
की सखि ‘बाबा’?
नैं, ‘एम.एफ. हुसैन’।

159.

कथाकार, बढ़ियाँ संपादक,
जेकरा सें मिलना, आह्लादक,
अंग प्रफुल्लित जिनका पाकर,
की सखि ‘भुवन’?
नहीं, ‘सुधाकर’।

160.

कथा, गीत, कविता में माँजलोॅ,
बड़ा-बड़ा छै मंचोॅ धाँगलोॅ,
धीर आरू गंभीर नरम दिल,
की सखि ‘बाबा’?
नैं सखि, ‘अनिल’।