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की सखि, साजन? / भाग - 6 / दिनेश बाबा

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51.

पर उपकारी यति के जुगना,
सेवा भाव में रति के जुगना,
सेवा-टहल जें करै सहर्ष,
की सखि सेवक?
नैं सखि, नर्स

52.

हँस-मुखिया के मिट्ठोॅ बोली,
हमजोली सें करै ठिठोली,
मिली केॅ ऐलौं हम्में आभी,
की सखि मौसी?
नैं सखि, भाभी।

53.

बौगला रं लागै छै सादा,
जे पीन्है छै बड़ा लबादा,
धरम अर्पिता केरोॅ तन मन,
की सखि पादरी?
नैं सखि, ‘नन’।

54.

अनचोके आबै छै नौता,
जेकरो नैं कोनो समझौता,
मचै छै दुनिया में हड़कम्प,
की सखि अंधड़?
नैं, भूकम्प।

55.

बोल सुरीला कत्ते मिट्ठोॅ,
लागै जना शहद के पिट्ठोॅ,
सब जानै छै अता पता,
की सखि कोयल?
नैं सखि, ”लता“।

56.

जीवन के आधार छिकै ई,
ज्वाला अरू अंगार छिकै ई,
हवा संग होय जैथौं नागिन,
की सखि आंधी?
नैं सखि, आगिन।

57.

लागै फूल जना अलबेली,
करै बड़ाई सखि सहेली,
रूप निखारै बनबै सेसर,
की सखि गहना?
नैं, नकबेसर।

58.

जें सुन्दर झलकाबै रूप,
छटा निखारै करै अनूप,
नीक, बिना नैं लागै भेस,
की सखि साड़ी?
नैं सखि, ‘केस’।

59.

सुखी, दुःखी मन होय छै सुनथैं
समय कटै छै, बड़ी छगुनथैं,
दिल धड़कै, नैं मिलै करार,
की सखि साजन?
नैं सखि, ‘तार’।

60.

कविता के ही एक विधा छै,
पढ़ै-लिखै में भी सुविधा छै,
तेज वही ना जना लहरनी,
की सखि हाइकु?
नहीं, मुकरनी।