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कुछो दिन नइहरा में खेलहूँ ना पवनी / महेन्द्र मिश्र
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कुछो दिन नइहरा में खेलहूँ ना पवनी बारा जोरी से।
संइयाँ मांगेला गवनवाँ हो राम बाराजोरी से।
बभना निगोरा मोहे बड़ा दुख देला बराजोरी से।
उहे रे धरेला सगुनवाँ हो राम बाराजोरी से।
लाली-लाली डोलिया के सबुजी ओहरिया बाराजोरी से।
सइयाँ ले अइलें अँगनवाँ हो बाराजोरी से।
नाहीं मोरा लूर ढंग नाहीं बा गहनवाँ हो बाराजोरी से।
सइयाँ देखिहें मोर जोबनवाँ हो बाराजोरी से।
मिलि लेहु जुली लेहु संग के सहेलिया हो बाराजोरी से।
फेरू नाहीं होइहें मिलनवाँ हो बारा जोरी से।
कहत महेन्द्र कोई माने न कहनवाँ हो बाराजोरी से।
सइयाँ लेके चलले गवनवाँ हो बाराजोरी से।