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कुछ खटते-खटते मर जाते ऊपर वाले तू ही देख / विनोद तिवारी
Kavita Kosh से
कुछ खटते मर जाते ऊपर वाले तू ही देख
कुछ बैठे ठाले पा जाते ऊपर वाले तू ही देख
हमने तो समझा था तेरी नज़र बहुत ही पैनी है
पर घोटाले बढ़ते जाते ऊपर वाले तू ही देख
मुटियाते बेशर्म लोग ये खाते भी गुर्राते भी
चारा,बिल्डिंग, सड़कें खाते ऊपर वाले तू ही देख
जनता चाहे रोज़ी-रोटी न्याय और कुछ सुविधाएँ
ये भाषन देकर उड़ जाते ऊपर वाले तू ही देख
जो साधन सम्पना, नियम ,क़ानून क़ायदे से ऊपर
वे ‘ऊपरवाले’ कहलाते ऊपर वाले तू ही देख