निकल जाते हैं हमारी ज़िंदगी से बाहर 
कुछ लोग दाखिल होते हैं हमारी ज़िंदगी में बिन बुलाए 
और बैठ जाते हैं 
कुछ लोग गुजर जाते हैं धीरे से
कुछ लोग आपको थमाते हैं एक गुलाब
या खरीदते हैं एक कार आपकी खातिर कुछ लोग
कुछ लोग आपके बहुत पास खड़े रहते हैं 
कुछ लोग एकदम भुला दिए जाते हैं आपसे 
कुछ लोग दरअसल आप ही होते हैं 
कुछ लोग जिन्हें आपने कभी देखा भी नहीं होता 
कुछ लोग साग खाते हैं 
कुछ लोग बच्चे होते हैं 
कुछ लोग चढ़ जाते हैं छत पर 
बैठ जाते हैं मेज पर कुछ लोग 
पड़े रहते हैं खाट पर 
टहलते हैं अपनी लाल छतरी के साथ 
कुछ लोग देखते हैं आपको 
कुछ लोग कभी ध्यान भी नहीं देते आप पर 
कुछ लोग अपने हाथों में लेना चाहते हैं आपका हाथ 
कुछ लोग मर जाते हैं रात में 
कुछ लोग दूसरे लोग होते हैं 
कुछ लोग आप होते हैं 
कुछ लोग नहीं होते अस्तित्व में 
कुछ लोग होते हैं 
अनुवाद : मनोज पटेल