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कुछ सर्वनाम / दुन्या मिखाईल
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वह रेलगाड़ी बनता है.
वह बनती है सीटी.
वे चल पड़ते हैं.
वह रस्सी बनता है.
वह बनती है पेड़.
वे झूला झूलने लगते हैं.
वह सपना बनता है.
वह बनती है पंख.
वे उड़ जाते हैं.
वह जनरल बनता है.
वह बनती है जनता.
वे कर देते हैं, एलाने जंग.
अनुवाद : मनोज पटेल