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कुट्टी-मिल्ली / श्रीप्रसाद
Kavita Kosh से
लड़ते हो जी, तुम से कुट्टी
नहीं लड़ोगे, अच्छा मिल्ली
आओ, खेलें हम मिलजुलकर
हाथ मिलाओ, लिल्ली-लिल्ली
रूठ गए तुम, अच्छा कुट्टी
अरे, हँस रहे हो तुम, मिल्ली
आओ बैठो, बात बताएँ
नहीं उड़ाना मेरी खिल्ली
तो फिर झगड़े, लो फिर कुट्टी
माफी माँग रहे हो, मिल्ली
अच्छा आओ, खेल करें हम
तुम चूहा हो, मैं हूँ बिल्ली
बुरा लगा चूहे पर, कुट्टी
लो, मैं ही चूहा हूँ, मिल्ली
पर तुम बिल्ली हो तो बोलो
क्या तुमने देखी है दिल्ली
यह भी बुरी बात है, कुट्टी
खेलो खेल दूसरा, मिल्ली
जैसे खेल खेलते घर में
अपने दोनों पिल्ला-पिल्ली
तो अब कभी न होगी कुट्टी
सदा रहेगी मिल्ली-मिल्ली
हम दोनों हैं प्यारे साथी
आपस में है हिल्ली-मिल्ली।