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कुर्सी / राजेन्द्र जोशी

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कैसी भी हो
कुर्सी बिकती हैं
कुर्सी का मोल लगता हैं
कुर्सी का समय तय नहीं
खरीददार की इच्छा पर
निर्भर करता हैं
बदल सकते हैं कुर्सी
बदलती भी हैं बोली
मोल भाव होता हैं
कैसी भी हो कुर्सी
कब होगी
बिना भाव की
यह कुर्सी !