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कुसुम-वंदना / गोविन्ददास

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कानन कुसुम तोड़ल किय गोरी। कुसुमहि सब तन निरमित तोरी।
आनन हेम-सरोरूह भास। सौरभ श्याम-भ्रमर मिलु पास।।
नयन-युगल-निल उत्पल जोर। सहज सोहाओन श्रवनक ओर।।
अपरूप तिल-फुल सुललित नास। परिमल जितल अमर तरू बास।।
बन्धुक मिलित अधर जहँ हास। दशनहि कुन्द कुसुम परकास।।
सब तनु घटित चम्पक सम गोरा। पानिक तल थल कमल इजोरा।।
गोविन्ददास एतय अनुमान। पूजह पशुपति निज तनुदान।।