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केन्होॅ छै ई देश, देश ई केन्होॅ छै / सियाराम प्रहरी
Kavita Kosh से
केन्होॅ छै ई देश, देश ई केन्होॅ छै
बेटा जहाँ बिकैलोॅ जाय छै
बेटी जहाँ जलैलोॅ जाय छै
जे बहु के झरकाय रहल छै, बाँचै छै उपदेश
देश ई केन्होॅ छै।
नारी के सम्मान जहाँ नै
धरम आरु ईमान जहाँ नै
ऐन्होॅ घोॅर घोॅर नै लागै, लागै छै परदेश
देश ई केन्होॅ छै।
दामन में छै दाग लगावै
आरो अपनोॅ नाम घिनावै
देखि देखि गिरलोॅ समाज ई, दिल पर लागै ठेस
देश ई केन्होॅ छै।
केन्होॅ बौखल ई समाज छै
तनियोॅ सन लागै न लाज छै
चारो दिस अन्हरिया हेनोॅ, कुछ नै बचलोॅ शेष
देश ई केन्होॅ छै।