♦ रचनाकार: अज्ञात
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केरबा जे फड़ल छै हौदसँ
ओइ पर सूगा मड़राय
मरबौ रे सुगबा धनुख सें
सूगा खसै मुरूझाय
सुगनी जे कानय वियोगसँ
आदित होउ नी सहाय
काँचहि बाँस केर बंहिगा
ओइ में रेशम के डोर
भरिया से फल्लां भरिया
भार नेनें जाय छै
बाटहि पुछै छै बटोहिया
भार ई किनकर जाय
आन्हर छहीं रे बटोहिया
भार ई छठि माइ के जाय।