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के बसल जागीर में केकरा, बताई अब समय / रामरक्षा मिश्र विमल
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के बसल जागीर में केकरा, बताई अब समय
आदमीयत आदमी सभ के पढ़ाई अब समय
भाग सकबऽ दउरि के जतना निकलि जा भागि लऽ
बहसला का जोम में छरपट छोड़ाई अब समय
अब जरे लागल दिया बा शहर में हर गाँव में
दूध घी के सच छिपी ना बुदबुदाई अब समय
आसरा बिशवास के आँखिन रही ना धुँधलका
हर गली में नेह के भाषा सिखाई अब समय
गोद में तूफान के खुद के जरावे के परी
के रही जरते, बुताई के, बताई अब समय