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कैद / भावना शेखर
Kavita Kosh से
आज फिर पिंजरे के पंछी ने देखीं
टूटी चूड़ियां
उदास चूल्हा
लुढ़की बोतल
भीगा तकिया
आज फिर पंछी
अपनी क़ैद पर मायूस ना हुआ।