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कैसा अंधेर / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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अग्गल में गुड़िया के हाथी,
बग्गल में गुड़िया के शेर।
दादीमाँ ने जब देखा तो,
हो गई बैठे-बैठे ढेर।
दादी यह तो नकली हाथी,
छूकर देखो नकली शेर।
सुनकर उठी लपककर दादी,
बोली यह कैसा अंधेर।