कैसे मैं अंतिम नमन करूँ? / शिव कुमार झा 'टिल्लू'
कैसे मैं अंतिम नमन करूँ?
आँचल को तूने किया कलुषित
पुत्र आशा के लोलुप सपनो में
करुणा धारिणी हो गयी पतित
नहीं उषा दर्शन, नहीं दिव्य शिखा
वसुधा से पहले नरक दिखा
नहीं दिखा छोह अति मृदुल क्षेम
नहीं मोती माणिक्य रजत हेम
मात्र पांच मास मातृ गर्भ रही
जन परिजन से उपहास सही
तुच्छ समझ किया तूने गर्भपात
बाला बचपन तज कुम्हिलात
है कौन सी शक्ति मनुसुत में??
जो तनया में नहीं दिखलाई
लक्ष्मी के रणहुंकारों से
वृद्ध कुंवर में थी ज्वाला आई
दुःख एक मात्र यह तात प्रिया
माँ ने माँ का बलिदान दिया
सनातन पालिका एक नारी ने
वैदेही का अपमान किया
भव बंधन का कैसा दर्शन
अलभ्य नीर क्षीर विलग जीवन
तज गया प्राण तो अनल अर्पण
अमिय मधु से पुत्र किया तर्पण
एक बार मुझे भी बतलाती
सुधा पयोधि जीवन में बरसाती
लाती सतरंगी परिधान
पुत्र से बढ़कर करती सम्मान
देना आशीष मेरी जननी
नहीं बेटी बन आऊँ अवनि
नहीं सूखे पुनि नव किसलय दल
नहीं जल से पहले मिले अनल...