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कैसे व्याहू राधा कन्हैया तेरो कारो / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कैसे व्याहूं राधा, कन्हैया तेरो कारो
घर-घर की वो गउवें चरावे
ओढ़त कम्बल कारो-कारो। कैसे...
छीन झपट दधि, खात बिरज में
चलेगो कैसे राधा संग गुजारो। कैसे...
मेरी राधा अजब सुंदरी
तेरो कन्हैया है कारो-कारो। कैसे...
पीताम्बर की कछनी बांधे
मोहन मुरलिया बारो न्यारो। कैसे...