डोलची से मैंने कुछ रंगों के छींटे मारे
और इस उबाऊ दुनिया को पोत दिया संवेगों से
जेली की डिश पर मैंने ख़ाका खींचा
समुद्र के उभरी हुई हड्डियों वाले चेहरे का ।
डिब्बा बन्द सालमोन मछली के आँस पर
मैंने सुना बुलावा
नए होठों का ।
और तुम
क्या तुम बजा सकते थे बाँसुरी
फ़कत ड्रेन-पाइप के एक टुकड़े पर ?
1913