काल में
कहीं कोई एक क्षण
अकेला नहीं है
निदाग अलग-सबसे अलग
कि
हो तो वही हो
मात्र उसकी प्रतीति हो
और कुछ न हो उसके साथ
न अन्य की प्रतीति हो
रचनाकाल: ०५-११-१९७०
काल में
कहीं कोई एक क्षण
अकेला नहीं है
निदाग अलग-सबसे अलग
कि
हो तो वही हो
मात्र उसकी प्रतीति हो
और कुछ न हो उसके साथ
न अन्य की प्रतीति हो
रचनाकाल: ०५-११-१९७०