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कोई तो सिरा / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा

उसकी आँखों में देख कर बादल
यह बादल उधर से घिरा होगा

आओ ढूंढें उलझते जा रहे सूत्र को
कोई तो सिरा होगा

पथरीली ज़मीन से फूट रही कोंपल
किसी आँख से आँसू गिरा होगा

वो पुकार रहा है मेरा नाम
आँधियों से घिरा होगा

जीवन है समंदर की लहरें उत्ताल
बचकर इनसे कबीर तिरा होगा