कोई वाकये-ख़याल है क्या 
अब भी कोई सवाल है क्या 
सर्द रात में फूटे हैं पटाखे 
अब से नया साल है क्या
तुम कम-से-कम मत कहो 
‘ये भी कोई हाल है क्या’?
बोझ से लदा हूँ बुरी तरह 
पूछते हो ये चाल है क्या? 
पहन के निकले हो बुलंदियां 
जेब में भरा माल है क्या
 
आंसू न रुकते तुम्हारे ‘अनुपम’
दिल में कोई गहरा ताल है क्या