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कोए किसै का ना गोती नाती, या दुनिया कहती आई / मुकेश यादव

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कोए किसै का ना गोती नाती, या दुनिया कहती आई
चाल, चरित्र, चेहरा बदलै, सत्ता गैल्यां भाई
 
फूल्या-फूल्या हाडें जा भाई, चौधर थ्यागी भारी
जूण से जूण से खटकै सैं ईब, रड़क मेटद्यूं सारी
कुड़ते म्हं तैं ल्यकडऩ नै होर्या, हुई नेता गैल्यां यारी
सत्ता किसै की ना होती, तेरी क्यूं गई अक्कल मारी
ऊपर-ऊपर रहे नजर, ना धरती देवै दिखाई
   
चुपड़ चौधरी गैल्यां बैठ, कुछ कान भरणिये हो ज्यां सै
कुछ काम कढ़ाऊ होक्का पाड़ू, बात घड़णिये हो ज्यां सै
बाबू जी की शान देख कुछ, सहम डरणिये हो ज्यां सै
पांच, सात, संग हांडण नै, गैल फिरणिये हो ज्यां सै
मनै इसै-इसै कई दिखै सैं, ज्यब चौगरदे नजर घुमाई
   
कोठी बंगला गाड़ी लेली, जुडग़ी दौलत भारी
कान्धे ऊपर पिस्टल झूलै, बणग्या कब्जेधारी
हलके का एम.एल.ए. बणनै की, मन मन म्हं तैयारी
भाईचारे की पड़ै मानणी, या जनता हांगा लारी
पीस्सा हांगा दोनूं होगे, होग्ये ख्याल हवाई
   
जै लूटखोर तै बचणा सै तो लेणी पड़ै संभाळ तन्नै
भूंडे माणस के हुंकारे भरण की, करणी होगी टाळ तन्नै
अंग्रेजां सी सियासत का यो, पड़ै काटना जाळ तन्नै
‘मुकेश’ चूकगी मौके नै तो, जिन्दगी भर मिलै गाळ तन्नै
म्हारी मेहनत पै पळरे सैं ये, खूनी जोंक कसाई