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कोयल - 1 / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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देखो मुन्नू कोयल बोली
स्वर में मानों मिश्री घोली
बैठ आम की डाली पर
बोल रही पंचम के स्वर
आती जब बसन्त ऋतु प्यारी
हो उठती है यह मतवारी
बौर आम पर जब आता है
इसको पागल कर जाता है
ऊपर से है काली-काली
पर उसके भीतर उजियाली
बोली का इस जग में मोल
बोलो सबसे मीठे बोल॥