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कोय बात नै / त्रिलोकीनाथ दिवाकर
Kavita Kosh से
काटै छै बीरनी
झाड़ै लहरनी
एकंे सताय छै
दोसरें गथाय छै
कोय बात नै।
पुलिसो के डंडा
वकीलो के फंडा
एकें डेंगाय छै
दोसरंे सिझाय छै
कोय बात नै।
लकड़ी के दीमक
नेता के नीयत
एकें सड़ाय छै
दोसरंे लड़ाय छै
कोय बात नै।
सरकारो के घोषणा
अधिकारी के चोसना
एकें गिनाय छै
दोसरें बिलाय छै
कोय बात नै।
गरीबो के झोपड़ी
अमीरो के खोपड़ी
एकें बचाय छै
दोसरंे नचाय छै
कोय बात नै।