Last modified on 3 अप्रैल 2011, at 01:03

कोसी अँचल में बाढ़ (2008)-2 / मुसाफ़िर बैठा

जो कोसी की बाढ़ लील रही थी
बेहिसाब बेकुसूर जान
उसी का मैला कुचैला पानी
कर रहा था प्राण रक्षा
अपनी गमछी से छान
बाढ़ का पानी पी रहे एक मजबूर प्यासे की

प्रकृति भी निष्ठुर दिलचस्पी लेती है कदाचित
विध्वंसक विनाशक लीला करने में
राजनीतिबाज मनुष्यों की तरह