भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कौआ मामा / राजेश्वर 'गुरु'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बिल्ली मेरी प्यारी मौसी
कौआ मेरा मामा!
बिल्ली पहने फ्रॉक गरारा,
कौआ जी पाजामा!

काँव-काँव कौआ जी बोलें
म्याऊँ-म्याऊँ बिल्ली।
कौआ जी कलकत्ता जाएँ,
बिल्ली जाए दिल्ली!

कौआ जी रसगुल्ला खाएँ,
बिल्ली खाए हलुआ।
गोरी-गोरी बिल्ली मौसी,
कौआ मामा कलुआ!