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कौन कहता ज़िन्दगी तेरा हसीं भी रंग है / हरकीरत हीर
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कौन कहता ज़िन्दगी तेरा हसीं भी रंग है
हर बशर<ref>इंसान</ref> दिखता मुझे तुझसे यहाँ तो तंग है
मुश्किलें भी हैं कठिन, तेरे सभी रस्ते मग़र,
ज़िन्दगी की, ज़िन्दगी से, इक सुहानी जंग है
रूप नित देखे बदलते,आज़ हमने प्यार के,
बन गया व्यापार अब ये देख हम तो दंग है
प्यार हमने भी किया था,बेपना तुम से कभी ;
आपकी इस बेरुख़ी से शाम अब बेरंग है
मुस्कुरा देती तुमहारे प्यार में मैं जब कभी;
क्यों मुआ छिप छिप तभी ये देखता सारंग<ref>चांद</ref> है
कौन है जो आज नारे दे रहा कशमीर में?
मार दो गोली उसे पागल दिखे मातंग<ref>हाथी</ref> है
कल मुझे जो कह रहा था 'हीर' तुझसे प्यार है
आज़ देखो जा रहा वो गैर बाँहों संग है
शब्दार्थ
<references/>