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कौन कहता है उसे दिल, ऐसा दिल तो दिल नहीं / शोभा कुक्कल
Kavita Kosh से
कौन कहता है उसे दिल, ऐसा दिल तो दिल नहीं
जो किसी इंसान के दुख दर्द में शामिल नहीं
दौलते-नादार है उसरत और उसका कुछ नहीं
वो मुक़द्दर का है मारा वो कोई जाहिल नहीं
जो नहीं करता भरोसा बाजुओं पर अपने खुद
लाख चाहे वो तो उसका कोई मुस्तक़बिल नहीं
दुश्मने-हिन्द इतना सोच कर आएं इधर
ये गुफ़ा है शेर की चूहे का कोई बिल नहीं
यह तो भर आयेगा देखे गा किसी को जब दुखी
यह हमारा दिल है ये कोई तुम्हारा दिल नहीं।