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कौन सा परिमाण लगाएँ / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत

यहाँ पर तरक्की की गति नापने के लिए —
बच्चों के पैदा करने से लेकर
चल-अचल सम्पत्ति को देखकर
अन्दाज़ लगाया जाता है तरक्की का !

कौनसा परिमाण पैमाना लाओगे
जीवन की साँझ ढलने पर
भूखे-कंगाल हो चुके कलाकारों पर?

कविता की शब्द-संख्या से कैसे
तय कर सकोगे कवि का मानदेय?

निरोध से भी नहीं शिथिल हो रहा
बढती जनसँख्या का विस्फोट
नसबन्दी से भी नहीं होता किसी का चरित्र उजला।

राष्ट्रीय शोक मनाते हुए भी
नहीं चूकता, शासकीय विश्रामगृह पर मांसाहारी भोजन।

सामान्य आदमी के सफ़ेद कपड़े
पीले पड़ जाते हैं बनियान के साथ।
उनकी सफ़ेदी को बनाए रखनेवाला
पाऊडर किस बाज़ार में मिलता है?

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत