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कौन है दलित / कर्मानंद आर्य

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दलित कौन है
कैसा कोई बन जाता है हीन
दलितपन की योग्यता क्या है
इसकी शिक्षा कहाँ मिलती है
इसकी जड़ें कहाँ हैं
इसका दर्शन कहाँ-कहाँ मिलता है
इसके वेद पुराण कौन हैं
उत्तर मिलता है
हरामियों की एक सरणी है हमारे बीच
सिर पर त्रिपुंड और गले में माला पहने
मन्त्र बडबडाते
वे रच डालते हैं एक ऐसा संसार
जो दूसरों को नंगा और भूखा रखने में
रखता है विश्वास
जो एक बड़ी आबादी का अन्न खाकर
सिर्फ अपान वायु छोड़ता है
हिंसा जिसका धर्म है
उत्पात है जिसकी मनसा
जो कोढ़ की तरह पनपता है
खाज की तरह
फैल जाता है मलिन धरती पर
जो समाज को खुजलाता है
रक्तपायी विषधर होकर धनपशु बन जाता है
श्रेष्टता का बोध
पीढ़ी दर पीढ़ी फैलाता है
जो हाथी नहीं गणेश है
जो ब्रह्मा नहीं महेश है
जो आदिम रक्त पायी है
जिसने चमारों, सियारों, बंजारों की
सुन्दरतम दुनिया बनाई है
उसी से पूछो
कौन है दलित
क्या है उनका नीतिशास्त्र
कहाँ रहता है वो
क्या करता है वो
जिसे लोग कहते हैं दलित
कौन है वह, कौन है