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क्या करें और कहाँ जाएँ बताए कोई / विनोद तिवारी


क्या करें और कहाँ जाएँ बताए कोई
अपना ईमान बचा पाएँ बताए कोई

दूर तक एक समन्दर-सा है लहराता हुआ
कैसे तूफ़ाँ से न घबराएँ बताए कोई

भ्रष्ट लोगों ने परस्पर प्रशस्तियाँ गाईं
क्यों न मिलती रहें सुविधाएँ बताए कोई
 
सिर्फ़ आज़ादी हो, रोटी हो न कपड़ा न मकान
लोग फिर गाएँ या चिल्लाएँ बताए कोई