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क्या कुछ है मेरा दर्द, नहीं जिसको / रामश्याम 'हसीन'
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क्या कुछ है मेरा दर्द, नहीं जिसको पता भी
हँसता है मेरे हाल पर तो शख़्स नया भी
करनी है तुम्हें जितनी जफ़ा उतनी करो तुम
होती है मगर दुनिया में इक चीज़ वफ़ा भी
आराम बहुत देता है इक घूँट भी मय का
मुझको तो यही दारू है और ये ही दवा भी
दुनिया में परेशानियाँ होती हैं सभी को
हर शख़्स परेशान है, छोटा भी-बड़ा भी
आया जो यहाँ, जाएगा इक रोज़ यहाँ से
बलबान भी-कमज़ोर भी, अच्छा भी-बुरा भी