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क्या ढूंढ रहा मन / वत्सला पाण्डे
Kavita Kosh से
डूब रहा मन
तिरता भी नहीं
तितीर्षा भी
नहीं जागी कभी
तलहटी में
खोजता क्या
जिन्दा रहने के लिए
कुछ शब्द
मधुरिम नाद
या
शब्दों के परे की
ध्वनियां