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क्या होगा! / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
बिना पढ़े जीवन क्या होगा,
सोचो तो वह कैसा होगा?
थोड़ी दूर चलोगे लेकिन,
कितनी दूर और चलना है।
पत्थर पर जो लिखा हुआ हे,
पढ़ न सकोगे तो क्या होगा।
कोई चिट्ठी आती है तो
लिखा हुआ तुम न पढ़ सकोगे
जिसको तिसको दिखलाओगे,
राज खुलेगा तो क्या होगा।
बिना पढ़े जीवन क्या होगा,
सोचो तो वह कैसा होगा।
कहीं नौकरी कर न सकोगे,
बिजनेस भी तो कर न सकोगे।
खेती भी कैसी होगी जब,
नहीं ज्ञान उसका कुछ होगा।
बिना पढ़े जीवन क्या होगा,
सोचो तो वह कैसा होगा।