क्यूँ मुझे बार-बार दिखता है 
उसकी आँखों में प्यार दिखता है
उसको पाने की चाह में देखो 
हर कोई बेक़रार दिखता है
क्या छुपाता है मेरी नज़रों से 
अब मुझे आर-पार दिखता है
रेत बहता है अब हवाओं में 
हर तरफ़ थार-थार दिखता है
और कोई मरज़ नहीं उसको 
इश्क़ का ही बुख़ार दिखता है
ज़िन्दगी के हरेक पन्नें पर 
मुझको गीता का सार दिखता है