भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्योंकि आदमी हैं हम-4 / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
प्रभु!
इतने स्वार्थी मत बनो
मानवता के नाते आओ
हे अवतार! हे तारणहार!
हमें इन अमानुषों
समाजकंटकों से बचाओ
कब तक हम
इन दानवों से लड़ सकते हैं
आख़िर तो बाल-बच्चेदार हैं
परिवार-घरबार, भरापूरा संसार है
कैसे बिखरती देख सकती हैं
मेरी इंसानी आँखें यह सब