Last modified on 9 सितम्बर 2011, at 16:57

क्योंकि आदमी हैं हम (2) / हरीश बी० शर्मा


चाहता हूं प्रभु
फिर तुम्हें एक लंबा
वनवास मिले
अपने परिवार से होकर अलग
तुम वन-वन भटको
रात-रात भर सीते-सीते करते जागो
फिर जब सीता मिले
उसको भी त्यागो।