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क्यों, विलाप क्यों / वाल्टर सेवेज लैंडर / तरुण त्रिपाठी

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क्यों, विलाप क्यों करना, मेरे विचारग्रस्त दोस्त,
सुखों पर जो बिछड़ गए?
कुछ तो ये निष्ठुर भाग्य कभी प्रदान नहीं करेगा
और टिकने को तो सारे ही इंकार कर दें.

मैं देखता हूँ आसमान में वह इंद्रधनुष
उस घास पर वह ओस
मैं उन्हें देखता हूँ, और नहीं पूछता कि क्यों
वे टिमटिमाते हैं या क्यों ग़ायब हो जाते हैं.

बाहें बाँधे बैठ कर मैं सोच-विचार नहीं करता
उन्हें वापस बुलाने के बारे में; यह व्यर्थ है;
यहीं, या किसी और स्थान पर
मैं जानता हूँ वे दुबारा जगमगाएँगे