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क्रान्ति के अनजान सिपाही की समाधि का पत्थर / बैर्तोल्त ब्रेष्त / वीणा भाटिया

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मर चुका क्रान्ति का अनजान सिपाही
मुझे दिखा स्वप्न में
उसकी समाधि का पत्थर
पास के दलदल में था समाधि का पत्थर
दो पत्थर के टुकड़ों से बना
जिस पर लेख नहीं खुदा किन्तु
दोनों टुकड़ों में एक बोलने लगा
यहाँ पर जो दफ़्न है
वो आगे बढ़ा था किसी अन्य राज्य पर
विजय पाने को नहीं बल्कि अपने ही देश पर
कोई नहीं जानता
उसका नाम क्या है
किन्तु इतिहास की पुस्तकें
उनके नाम ज़रूर बताती हैं उसे
जिन्होंने परास्त किया ।

क्योंकि उसने
इनसान की तरह जीना चाहा
सो बर्बर पशु के समान उसकी हत्या की गई ।

उसके आख़िरी शब्द
एक फुसफुसाहट के समान थे
क्योंकि वे जिस कण्ठ से निकले थे
वो कण्ठ तो दबा दिया गया था
किन्तु सर्द हवा
उसे चारों ओर ले गई
सर्दी से ठिठुर रहे लोगों के पास ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : वीणा भाटिया